June 17, 2010
रोशन कर दो जहाँ
संध्या की लाली से ड्ख कर हो जाता हैं दुआं।
जीवन की भी लय यही हैं ;
बड़ी सीख मिलती हैं यहाँ।
ममता कि गोद से उतर के
जवानी के नशे में झूलते हैं हम।
ज़िन्दगी का मूल हूँ "मैं"
यह समज बैठ्ते हैं हम।
मांगों की अपार दौलत से
दुनिया लूट लेते हैं हम।
अपने अस्तित्व को भी
दांव पर लगा देते हैं हम।
अपने पराये
सबको दुःख दिए जाते हैं हम।
मैं को खुश किये जाते हैं हम।
हर ज़िन्दगी कट जाती हैं दोस्तों
पर जीने का वो अंदाज़ ही क्या
जो सिर्फ अपने लिए जीए?
ड्लती तो हैं हर शाम
पर वो शाम ही क्या
जो तारों को रोशन ना कर जाये दोस्तों ?
April 09, 2010
उड़ने दो (भाग - २)
चल चित्र : १९४२ - एक प्रेम कहानी
बोल: जावेद अख्तर
गीतकार: र.डी.बर्मन
गायक: शिवाजी चट्टोपाध्य
लम्बी हैं ग़म की शाम, मगर शाम ही तो हैं ॥ [फैज़ अहमद फैज़]
यह सफ़र बहुत हैं कठिन मगर, न उदास हो मेरे हमसफ़र
ये सितम की रात है ढलने को
है अँधेरा ग़म का पिघलने को
ज़रा देर इसमें लगे अगर,
ना उदास हो मेरे हमसफ़र॥
नहीं रहने वाली यह मुश्किलें की हैं अगले मोड़ पे मंजिलें
मेरी बात का तू यकीन कर (२)
ना उदास हो मेरे हमसफ़र ॥
कभी दूंद लेगा यह कारवाँ, वो नयी ज़मीन नया आसमान
जिसे दूंद्ती हैं तेरी नज़र
ना उदास हो मेरे हमसफ़र॥
Watch it here
वैसे तो बहुत सारे गीत हैं जो हमें यह महसूस कराते हैं की ज़िन्दगी में ग़मों का होना तो ज़ाहिर हैं , पर असल बात हैं उन्ही ग़मों पर विजय प्राप्त कर पाना | असल बात हैं अपनी उमीदों को दायरों में न बाँद्ते हुए उन्हें उड़ने की क्षमता दे पाना । चलिए इसी बात पर एक आखरी गीत सुन ले। यह गाना हमने आज ही सुना और इस गाने के बोल ने हमारे ह्रदय को छू लिया।
चलचित्र: Rocket Singh (2009)
बोल: जयदीप सहनी
गीतकार: सलीम सुलेमान
गायक: सलीम मर्चंट
उड़ने दो ..
पंखों को, हवा ज़रा सी लगने दो
दिल बोले सोया था अब जगने दो
दिल दिल में हैं दिल की तमन्ना सौ
दो सौ हो चलो ज़रा सा तपने दो
उड़ने दो.. पंखों को हवा ज़रा सी लगने दो।
धूप खिली जिस्म गरम सा है
सूरज यहीं यह भरम सा है
बिखरी हुयी राहें हजारों सौ
थामो कोई फिर भटकने दो
उड़ने दो.. पंखों को हवा ज़रा सी लगने दो।
दिल की पतंग चाहों में गोटे खाती है
ढील तोह दो देखो कहाँ पे जाती है
उलझे नहीं तो कैसे सुलझोगे
बिखरे नहीं तो कैसे निखरोगे
उड़ने दो.. पंखों को हवा ज़रा ऐसे लगने दो।
हवा ज़रा सी लगने दो॥
उलझे नहीं तो कैसे सुल्झोगे?
बिखरे नहीं तो कैसे निखरोगे ?इन दो पंक्तियों में शायद कवी ने बड़ी ही खूबसूरती से अपनी बात हम तक पहुंचाने की कोशिश की हैं. उम्मीद हैं आपको यह गाने पसंद आये होंगे. फिर मिलेंगे कुछ सुनेहेरे गीतों के माध्यम से , नमस्कार।
उड़ने दो ..! (भाग - १)
"एक अन्धेरा लाख सितारे , एक निराशा लाख सहारे
सबसे बड़ी सौगात हैं जीवन नादाँ हैं जो जीवन से हारे "
कल ही हम यह गाना "आखिर क्यूँ " चल चित्र से सुन रहे थे। हमें लगा की कोई भी टूटा हुआ इंसान इस गाने के बोल सुनते ही फिर अपनी मंजिलों को पाने की जोश में आ जायेगा। कितने सुन्दर पंक्तियाँ लिखे हैं कवी इन्दीवर ने। चलिए इस गाने के पूरे बोल जान ले :
चलचित्र : आखिर क्यूँ (१९८५)
बोल: इन्दीवर
गीतकार: राजेश रोशन
गायक: मोहम्मद अज़ीज़
एक अन्धेरा लाख सितारे , एक निराशा लाख सहारे
सबसे बड़ी सौगात हैं जीवन नादाँ हैं जो जीवन से हारे
दुनिया की ये बगिया एसी- जितने काँटे , फूल भी उतने
दामन में खुद आ जायेंगे , जिनकी तरफ तू हाथ पसारे ॥
बीते हुए कल की खातिर , तू आनेवाला कल मत खोना
जाने कौन कहा से आ कर , राहे तेरी फिर से सवारे ॥
दुःख से अगर पहचान न हो तो कैसा सुख कैसी खुशियाँ
तुफानो से लड़कर ही तो लगते हैं साहिल इतने प्यारे ॥
वाह! क्या बोल हैं। ऐसे आशावादी शब्दों की ज़रुरत कभी न कभी हम सबको होती हैं । पर यह तो हुई उन दिनों की बात जब कवियों के ऐसी रचनाए रोज़ मर्रा ही निकलती थी। आज कल के गानों में ऐसे उम्मीद भरें शब्द कभी कबार ही सुनने को मिलती हैं। ऐसा एक गाना कुछ साल पहले आया था और लोगों ने भी इसे खूब सराहा था। प्रस्तुत हैं एक ऐसी ही मनपसंद आशावादी कविता :
एल्बम: वैसा भी होता हैं
बोल और गायन: कैलाश खेर
टूटा टूटा एक परिंदा ऐसे टूटा
के फिर जुड़ ना पाया
लूटा लूटा किसने उसको ऐसे लूटा
के फिर उड़ ना पाया
गिरता हुआ वोह असमान से
आकर गिरा ज़मीन पर
ख्वाबों में फिर भी बादल ही थे
वो कहता रहा मगर
के अल्लाह के बन्दे हसदे अल्लाह के बन्दे
अल्लाह के बन्दे हसदे जो भी हो कल फिर आएगा ॥
खो के अपने पर ही तो उसने था उड़ना सीखा
घम को अपने साथ में ले ले दर्द भी तेरे काम आएगा ॥
अल्लाह के बन्दे हसदे अल्लाह के बन्दे..
टुकड़े टुकड़े हो गया था हर सपना जब वोह टूटा
भिकरे टुकड़ों में अल्लाह की मर्ज़ी का मंज़र पायेगा
अल्लाह के बन्दे हसदे अल्लाह के बन्दे
अल्लाह के बन्दे हसदे जो भी हो कल फिर आएगा ॥
और कुछ हम "उड़ने दो ..!" के अगली कड़ी में सुनायेंगे । तब तक हमें आज्ञा दे!